मुंबई। मुंबई के चेंबूर में एनजी आचार्य और डीके मराठा कॉलेज ने मुस्लिम छात्राओं के कॉलेज के अंदर हिजाब पहनने पर पाबंदी लगा दी थी। छात्रों ने जब इसको लेकर चिंता व्यक्त की तो अब उस आदेश को पलटा जा सकता है। कॉलेज ने एक आदेश में कहा था कि जूनियर कॉलेज के छात्रों के लिए ड्रेस अनिवार्य है। मई में छात्र-छात्राओं के अभिभावकों को इसके बारे में सूचित किया गया। उन्हें ड्रेस सिलवाने के लिए पर्याप्त समय मिल गया। न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि दर्जनों छात्र जो बिना ड्रेस पहने पहुंचे थे उन्हें कॉलेज में
प्रवेश करने से रोक दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि इसका हिजाब या बुके से कोई लेना-देना नहीं है। मामले में अब तक कोई पुलिस शिकायत नहीं हुई है। चेंबूर के आचार्य और मराठा कॉलेज में 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले कुछ छात्रों ने मंगलवार को दावा किया कि उन्हें कॉलेज में प्रवेश करने और शौचालय तक जाने की अनुमति नहीं दी गई। ड्रेस की लेकर पिछले दो दिनों से बार-बार घोषणाएं की जा रही थीं। मुस्लिम छात्राओं का विरोध 12वीं कक्षा की एक छात्रा ने बताया, हम अपने हिजाब या दुपट्टे के बिना कॉलेज कैसे आ सकते हैं? हम सार्वजनिक रूप से
अपना सिर नहीं दिखा सकते। यह हमारे धर्म के खिलाफ है। वहीं, कॉलेज के प्रिंसिपल ने यूनिफॉर्म अनिवार्य करने फैसले का बचाव किया। आचार्य और मराठा कॉलेज की प्रिंसिपल विद्यागौरी लेले ने कहा, सभी अभिभावकों के साथ एक बैठक आयोजित की गई। उन्हें इसकी जानकारी दी गई। जूनियर कॉलेज अभी भी माध्यमिक शिक्षा के अंतर्गत आता है। यह कॉलेज नहीं है। हम चाहते हैं कि छात्र अपने पहनावे के कारण श्रेष्ठ या हीन महसूस न करें। अतः इस सुझाव पर अमल किया गया। छात्रों को ड्रेस के दो सेट खरीदने के लिए कई महीनों का समय दिया गया था। इसमें कोई भेदभाव नहीं है।